Mirza Ghalib Shayari in Hindi: आज आपको यहाँ कुछ बेहतरीन मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी का पोस्ट साझा किया गया है ये सभी मिर्जा ग़ालिब के द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध शायरी है यह सब मिर्जा ग़ालिब की शायरी पढ़ कर आपको बहुत पसंद आएगी आप चाहे तो सोशल मीडिया व्हाट्सप्प, फेसबुक, इंस्टाग्राम और भी कई अन्य एप की शहयता से आप बहुत आसानी से शेयर कर सकते है।
मिर्जा ग़ालिब उर्दू के बहुत ही लोकप्रिय शायर में से एक थे जब भी शेरो शायरी की बात होती है तो मिर्जा ग़ालिब साहब का ज़िक्र जरूर होता है मिर्जा ग़ालिब (Mirza Ghalib) का जन्म 1797 में 27 दिसंबर को आगरा में हुआ था उन्होंने अपने द्वारा लिखी गयी शायरी, ग़ज़ल से अपनी एक पहचान बनाई थी पुराने युग के वक़्त में मिर्जा ग़ालिब उर्दू शायरी और ग़जल के बहुत ही बड़े बादशाह माने जाते थे वह बहुत ही उंदे ग़जल, शायरी के लेखक थे उनके बहुत मशहूर शायरी और ग़जल है जिन्हे हम आज भी गूगल के माध्यम से सर्च करके पढ़ सकते है आज भी लोग इनकी शायरी को पढ़ते ही इनमे खो जाते है।
Mirza Ghalib Shayari
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के..!!
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले..!!
हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामी,
फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले..!!
Mirza Ghalib Shayari in Hindi
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं,
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं..!!
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है..!!
यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो..!!
मिर्जा गालिब की दर्द भरी शायरी
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे..!!
हुआ जब गम से यूँ बेहिश तो गम क्या सर के कटने का,
ना होता गर जुदा तन से तो जहानु पर धरा होता..!!
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे,
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है..!!
मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़ल
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार,
ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है..!!
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं,
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं..!!
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है,
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है..!!
Mirza Ghalib Shayari Status
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है..!!
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है..!!
बना है शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता,
वगर्ना शहर में “ग़ालिब” की आबरू क्या है..!!
Mirza Ghalib Shayari in Hindi 2 Lines
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना,
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता..!!
निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन,
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले..!!
तुम न आए तो क्या सहर न हुई, हाँ मगर चैन से बसर न हुई, मेरा नाला सुना ज़माने ने, एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई..!!
Mirza Ghalib Shayari On Life in Hindi
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए,
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए..!!
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी,
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है..!!
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का,
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले..!!
Mirza Ghalib Shayari Images in Hindi
कोई उम्मीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती..!!
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना..!!
बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब,
जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है..!!
mirza ghalib shayari in urdu
हम भी दुश्मन तो नहीं हैं अपने,
ग़ैर को तुझ से मोहब्बत ही सही..!!
मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिब,
यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी..!!
तुम अपने शिकवे की बातें, न खोद खोद के पूछो, हज़र करो मिरे दिल से, कि उस में आग दबी है..!!
ग़ालिब की शायरी हिंदी में motivation
मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का उसी,
को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले..!!
तोड़ा कुछ इस अदा से, तालुक़ उस ने “ग़ालिब”,
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे..!!
मेरी ज़िन्दगी है अज़ीज़ तर इसी वस्ती मेरे, हम सफर मुझे क़तरा क़तरा पीला ज़हर, जो करे असर बरी देर तक..!!
मिर्जा गालिब के दोहे
इतना दर्द न दिया कर ए ज़िन्दगी,
इश्क़ किया है कोई क़त्ल नहीं..!!
गुज़रे हुए लम्हों को मैं इक बार तो जी लूँ,
कुछ ख्वाब तेरी याद दिलाने के लिए हैं..!!
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है..!!
Mirza Ghalib Shayari Hindi Love
ज़िन्दगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते,
कफ़न भी लेते है तो अपनी ज़िन्दगी देकर..!!
आप कितने भी अच्छे इंसान क्यों न हो आप,
किसी न किसी की कहानी में बुरे ज़रूर होते है..!!
है और भी दुनिया में सुखनवर बहुत, अच्छे कहते है की ग़ालिब का है, अंदाज-ए-बयां और..!!
Mirza Ghalib Ki Shayari
जब ख़ुशी मिली तो कई दर्द मुझसे रूठ गए,
दुआ करो कि मैं फिर से उदास हो जाऊं..!!
हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब बन कर मिला करो,
भटके मुसाफिर को चांदनी रात बनकर मिला करो..!!
मेरे मरने का एलान हुआ तो उसने भी यह, कह दिया,अच्छा हुआ मर गया बहुत उदास, रहता था..!!
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Conclusion
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