Mere Hujre Me Nahi Aur Kahee Par Rakh Do: राहत इन्दौरी भारत के महानतम कवियों में से एक थे जिनका स्वरगवस 11 अगस्त 2020 को हो गया लेकिन उनकी रचना हमेसा अमर रहेगी। आज इस लेख के माध्यम से मैं आपके साथ राहत इन्दौरी की एक बहुत प्रशिद शायरी साझा करने जा रहा हु जिसे आप निचे स्क्रॉल कर पढ़ सकते है।
Mere Hujre Me Nahi Aur Kahee Par Rakh Do
Mere Hujre Me Nahi Aur Kahee Par Rakh Do
Aasamaan Lae Ho Le Aao Zameen Par Rakh Do
Maine Jis Tak Mein Kuchh Toote Deye Rakhe Hain
Chaand Taaron Ko Bhee Le Jaake Vahee Par Rakh Do
Ab Kahaan Dhoondhenge, Hamaare Kaatili
Aap To Katl Ka Ilzaam Hamee Par Rakh Do
Ho Vo Jamuna Ka Kinaara Ye Koee Shaarp Nahin
Mittee Mittee Hee Mujhe Rakhanee Hai Kaheen Par Rakh Do
मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो
मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो
आसमान लाए हो ले आओ ज़मीन पर रख दो,मैने जिस तक में कुछ टूटे देये रखे हैं
चाँद तारों को भी ले जाके वही पर रख दो,अब कहां ढूंढेंगे, हमारे कातिलि
आप तो कत्ल का इल्ज़ाम हमी पर रख दो,हो वो जमुना का किनारा ये कोई शार्प नहीं
मिट्टी मिट्टी ही मुझे रखनी है कहीं पर रख दो..!!
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